भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शह्र-ए-याराँ / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> '''शह्रे याराँ''' जिस पे नाज...) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | ||
+ | |संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGhazal}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
− | |||
− | |||
जिस पे नाज़िल हो रहा है अब मशीनों का अज़ाब | जिस पे नाज़िल हो रहा है अब मशीनों का अज़ाब | ||
नग़्मः-ए-शाइस्तगिए-दस्तकाराँ था ये शहर | नग़्मः-ए-शाइस्तगिए-दस्तकाराँ था ये शहर |
10:40, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
जिस पे नाज़िल हो रहा है अब मशीनों का अज़ाब
नग़्मः-ए-शाइस्तगिए-दस्तकाराँ था ये शहर
ख़ाके-दिल उडती है अब जिस तरह पर्वानों की ख़ाक
सुब्हे-गुल, रोज़े-तरब, शामे-बहाराँ था ये शहर
कौन है फ़रियादरस, माँगेंगे किससे ख़ूँबहा<ref>मृत्यु के बदले लिया जानेवाला मूल्य</ref>
ज़ेरे-पाए-नख़्वते-आदम-शिकाराँ था ये शहर
तौक़े-ज़रीं<ref>सोने के जडा़ हुआ तौक़[कैदी के गले में पहनाई जाने वाली लोहे की हँसली]</ref> गर्दने-ख़र में नज़र आता है आज
कल तलक जौलाँगहे-चाबुक-सवाराँ<ref>तेज़ रफ़्तार घोड़ों पर सवारी करने वाला</ref> था ये शहर
शब्दार्थ
<references/>