"फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ावी / परिचय" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: समकालीन ईरानी कवयित्री फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ावा अपने एक इन्...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो (फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ाव / परिचय का नाम बदलकर फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ावी / परिचय कर दिया गया ह) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | समकालीन ईरानी कवयित्री फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ावा अपने एक इन्टरव्यू में कहती हैं: "मैं बौदलेयर पर यकीन करती हूं जिसने कहा था कि किसी शरीर में प्रवेश करने की इच्छा लिए भटकती किसी आत्मा की तरह कवि भी किसी भी शख़्स के व्यक्तित्व के भीतर प्रविष्ट हो सकता है." | + | {{KKRachnakaarParichay |
+ | |रचनाकार=फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ावी | ||
+ | }}समकालीन ईरानी कवयित्री फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ावा अपने एक इन्टरव्यू में कहती हैं: "मैं बौदलेयर पर यकीन करती हूं जिसने कहा था कि किसी शरीर में प्रवेश करने की इच्छा लिए भटकती किसी आत्मा की तरह कवि भी किसी भी शख़्स के व्यक्तित्व के भीतर प्रविष्ट हो सकता है." | ||
उनका एक कविता संग्रह है - 'रिमोर्सफ़ुल पोयम्स'. आधुनिक समाज की विभीषिकाओं से सतत जूझती रहने वाली स्त्री उनके सरोकारों में सरे-फ़ेहरिस्त है. उनकी बहुत सी कविताएं साफ़ राजनैतिक दृष्टिकोण लिए हुए हैं जिनमें वे युद्ध और तबाही के लिए ज़िम्मेदार अमरीका को अपने निशाने पर रखती हैं. | उनका एक कविता संग्रह है - 'रिमोर्सफ़ुल पोयम्स'. आधुनिक समाज की विभीषिकाओं से सतत जूझती रहने वाली स्त्री उनके सरोकारों में सरे-फ़ेहरिस्त है. उनकी बहुत सी कविताएं साफ़ राजनैतिक दृष्टिकोण लिए हुए हैं जिनमें वे युद्ध और तबाही के लिए ज़िम्मेदार अमरीका को अपने निशाने पर रखती हैं. | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 10: | ||
"एक सी दयालुता के साथ | "एक सी दयालुता के साथ | ||
+ | |||
सारे मृतकों का स्वागत करती है धरती | सारे मृतकों का स्वागत करती है धरती | ||
+ | |||
लेकिन आक्रान्ता महसूस करता है | लेकिन आक्रान्ता महसूस करता है | ||
+ | |||
कि उसका मकबरा हमेशा के लिए आराम करने के हिसाब से | कि उसका मकबरा हमेशा के लिए आराम करने के हिसाब से | ||
+ | |||
थोड़ा ज़्यादा ही अंधेरा और संकरा है. | थोड़ा ज़्यादा ही अंधेरा और संकरा है. | ||
+ | |||
निरपराध आदमी वापस पाता है अपनी मुस्कान | निरपराध आदमी वापस पाता है अपनी मुस्कान | ||
+ | |||
जैसे कोई नवजात अपनी माता की बांहों में." | जैसे कोई नवजात अपनी माता की बांहों में." |
19:13, 23 जून 2009 के समय का अवतरण
समकालीन ईरानी कवयित्री फ़रीदे हसनज़ादे मोस्ताफ़ावा अपने एक इन्टरव्यू में कहती हैं: "मैं बौदलेयर पर यकीन करती हूं जिसने कहा था कि किसी शरीर में प्रवेश करने की इच्छा लिए भटकती किसी आत्मा की तरह कवि भी किसी भी शख़्स के व्यक्तित्व के भीतर प्रविष्ट हो सकता है."उनका एक कविता संग्रह है - 'रिमोर्सफ़ुल पोयम्स'. आधुनिक समाज की विभीषिकाओं से सतत जूझती रहने वाली स्त्री उनके सरोकारों में सरे-फ़ेहरिस्त है. उनकी बहुत सी कविताएं साफ़ राजनैतिक दृष्टिकोण लिए हुए हैं जिनमें वे युद्ध और तबाही के लिए ज़िम्मेदार अमरीका को अपने निशाने पर रखती हैं.
एक अच्छी रचनाकार होने के अलावा फ़रीदे फ़ारसी भाषा की खासी नामचीन्ह अनुवादिका हैं. उनके अनुवादों में प्रमुख हैं टी. एस. ईलियट, गार्सिया लोर्का, मारीना स्वेतायेवा, यारोस्लाव साइफ़र्त और ख़लील जिब्रान आदि महाकवियों की रचनाओं पर आधारित पुस्तकें. इधर उन्होंने बल्गारिया की बड़ी कवयित्री ब्लागा दिमित्रोवा की कविताओं का फ़ारसी और अंग्रेज़ी में अनुवाद किया है.
कविता को लेकर उनका नज़रिया बहुत साफ़ है. वे अपनी एक कविता में कहती हैं:
"एक सी दयालुता के साथ
सारे मृतकों का स्वागत करती है धरती
लेकिन आक्रान्ता महसूस करता है
कि उसका मकबरा हमेशा के लिए आराम करने के हिसाब से
थोड़ा ज़्यादा ही अंधेरा और संकरा है.
निरपराध आदमी वापस पाता है अपनी मुस्कान
जैसे कोई नवजात अपनी माता की बांहों में."