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"वह / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर
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एक बच्चा | एक बच्चा | ||
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उसकी हस्तरेखाओं में | उसकी हस्तरेखाओं में | ||
भविष्य नहीं | भविष्य नहीं | ||
− | है केवल | + | है केवल राख |
राष्ट्रीय जूठन की, | राष्ट्रीय जूठन की, | ||
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हड्डियों में हिमाद्रि का गौरव नहीं | हड्डियों में हिमाद्रि का गौरव नहीं | ||
ठिठुरन है, | ठिठुरन है, | ||
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अटे खलिहानों का गर्व नहीं | अटे खलिहानों का गर्व नहीं | ||
लालसा है | लालसा है | ||
मुट्ठीभर दाने छिपा भागने की, | मुट्ठीभर दाने छिपा भागने की, | ||
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मानसून नहाने का चाव नहीं | मानसून नहाने का चाव नहीं | ||
− | खीझ है | + | खीझ है |
+ | सूखी ओट न मिलने की, | ||
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कहीं न जानेवाली | कहीं न जानेवाली | ||
अपनी यात्रा में | अपनी यात्रा में | ||
चुराकर भागना है उसे | चुराकर भागना है उसे | ||
− | चप्पलें रेलगाड़ी से। | + | चप्पलें, रेलगाड़ी से। |
वह बच्चा | वह बच्चा | ||
− | मेरा है - मेरा अपना | + | मेरा है - मेरा अपना |
मेरी माटी का जाया | मेरी माटी का जाया | ||
− | नन्हा...........। | + | नन्हा........... |
+ | यह........। | ||
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06:24, 7 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
वह
एक बच्चा
ओढ़ता है - अँधियारा
पहनता है - उजियारा
उसकी हस्तरेखाओं में
भविष्य नहीं
है केवल राख
राष्ट्रीय जूठन की,
हड्डियों में हिमाद्रि का गौरव नहीं
ठिठुरन है,
अटे खलिहानों का गर्व नहीं
लालसा है
मुट्ठीभर दाने छिपा भागने की,
मानसून नहाने का चाव नहीं
खीझ है
सूखी ओट न मिलने की,
कहीं न जानेवाली
अपनी यात्रा में
चुराकर भागना है उसे
चप्पलें, रेलगाड़ी से।
वह बच्चा
मेरा है - मेरा अपना
मेरी माटी का जाया
नन्हा...........
यह........।