गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी / मीराबाई
37 bytes added
,
14:24, 18 अप्रैल 2011
{{KKRachna
|रचनाकार=मीराबाई
}} {{KKCatKavita}}
{{KKAnthologyKrushn
}} <poem>
कान्हा बनसरी बजाय गिरधारी। तोरि बनसरी लागी मोकों प्यारीं॥ध्रु०॥
दहीं दुध बेचने जाती जमुना। कानानें घागरी फोरी॥ काना०॥१॥
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
6,240
edits