भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तेरा वह अनुरोध / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली परपरा | |संग्रह=माँ की मीठी आवाज़ / अनातोली परपरा | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
[[Category:रूसी भाषा]] | [[Category:रूसी भाषा]] | ||
− | + | <poem> | |
"मर रहे हैं हम सब"-- | "मर रहे हैं हम सब"-- | ||
− | + | यह कहा तूने कुछ ऐसे | |
− | यह कहा तूने कुछ | + | |
− | + | ||
कर रही हो मुझ से तू यह अनुरोध जैसे | कर रही हो मुझ से तू यह अनुरोध जैसे | ||
− | |||
स्वर्ग तुझे जाने दूँ | स्वर्ग तुझे जाने दूँ | ||
− | |||
मैं अपने से पहले | मैं अपने से पहले | ||
− | |||
और कह रही हो मुझ से | और कह रही हो मुझ से | ||
− | |||
तू इस नरक में ही रह ले | तू इस नरक में ही रह ले | ||
+ | </poem> |
22:01, 7 मई 2010 के समय का अवतरण
|
"मर रहे हैं हम सब"--
यह कहा तूने कुछ ऐसे
कर रही हो मुझ से तू यह अनुरोध जैसे
स्वर्ग तुझे जाने दूँ
मैं अपने से पहले
और कह रही हो मुझ से
तू इस नरक में ही रह ले