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− | |रचनाकार= महादेवी वर्मा | + | |रचनाकार=महादेवी वर्मा |
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− | इस एक बूँद आँसू में | + | <poem> |
− | चाहे साम्राज्य बहा दो | + | इस एक बूँद आँसू में |
− | वरदानों की वर्षा से | + | चाहे साम्राज्य बहा दो, |
− | यह सूनापन बिखरा दो | + | वरदानों की वर्षा से |
+ | यह सूनापन बिखरा दो; | ||
− | इच्छाओं की कम्पन से | + | इच्छाओं की कम्पन से |
− | सोता एकान्त जगा दो, | + | सोता एकान्त जगा दो, |
− | आशा की | + | आशा की मुस्काहट पर |
− | मेरा नैराश्य लुटा दो । | + | मेरा नैराश्य लुटा दो । |
− | चाहे जर्जर तारों में | + | चाहे जर्जर तारों में |
− | अपना मानस उलझा दो, | + | अपना मानस उलझा दो, |
− | इन पलकों के प्यालो में | + | इन पलकों के प्यालो में |
− | सुख का आसव छलका दो | + | सुख का आसव छलका दो; |
− | मेरे बिखरे प्राणों में | + | मेरे बिखरे प्राणों में |
− | सारी करुणा ढुलका दो, | + | सारी करुणा ढुलका दो, |
− | मेरी छोटी सीमा में | + | मेरी छोटी सीमा में |
− | अपना अस्तित्व मिटा दो ! | + | अपना अस्तित्व मिटा दो! |
− | पर शेष नहीं होगी यह | + | पर शेष नहीं होगी यह |
− | मेरे प्राणों की क्रीड़ा, | + | मेरे प्राणों की क्रीड़ा, |
− | तुमको पीड़ा में ढूँढा | + | तुमको पीड़ा में ढूँढा |
− | तुम में ढूँढूँगी पीड़ा !< | + | तुम में ढूँढूँगी पीड़ा! |
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02:24, 21 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
इस एक बूँद आँसू में
चाहे साम्राज्य बहा दो,
वरदानों की वर्षा से
यह सूनापन बिखरा दो;
इच्छाओं की कम्पन से
सोता एकान्त जगा दो,
आशा की मुस्काहट पर
मेरा नैराश्य लुटा दो ।
चाहे जर्जर तारों में
अपना मानस उलझा दो,
इन पलकों के प्यालो में
सुख का आसव छलका दो;
मेरे बिखरे प्राणों में
सारी करुणा ढुलका दो,
मेरी छोटी सीमा में
अपना अस्तित्व मिटा दो!
पर शेष नहीं होगी यह
मेरे प्राणों की क्रीड़ा,
तुमको पीड़ा में ढूँढा
तुम में ढूँढूँगी पीड़ा!