Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
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+ | नभ में चौकडियाँ भरें भले | ||
शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
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खिलवाड़ देर तक करें भले | खिलवाड़ देर तक करें भले | ||
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शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
− | + | लो, आपस में गुथ गए खूब | |
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शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
− | + | लो, घटा जल में गए डूब | |
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शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
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लो, बूंदें पडने लगीं, वाह | लो, बूंदें पडने लगीं, वाह | ||
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शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
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लो, कब की सुधियाँ जगीं, आह | लो, कब की सुधियाँ जगीं, आह | ||
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शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
− | + | पुरवा सिहकी, फिर दीख गए | |
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शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
− | + | शशि से शरमाना सीख गए | |
− | शशि से शरमाना सीख | + | |
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शिशु घन-कुरंग | शिशु घन-कुरंग | ||
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''१९६४ में लिखित'' | ''१९६४ में लिखित'' | ||
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09:50, 27 जून 2010 के समय का अवतरण
नभ में चौकडियाँ भरें भले
शिशु घन-कुरंग
खिलवाड़ देर तक करें भले
शिशु घन-कुरंग
लो, आपस में गुथ गए खूब
शिशु घन-कुरंग
लो, घटा जल में गए डूब
शिशु घन-कुरंग
लो, बूंदें पडने लगीं, वाह
शिशु घन-कुरंग
लो, कब की सुधियाँ जगीं, आह
शिशु घन-कुरंग
पुरवा सिहकी, फिर दीख गए
शिशु घन-कुरंग
शशि से शरमाना सीख गए
शिशु घन-कुरंग
१९६४ में लिखित