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"दो शेर-एक मक़्ता / फ़ानी बदायूनी" के अवतरणों में अंतर
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यह भी तदबीर कारगर न हुई॥ | यह भी तदबीर कारगर न हुई॥ |
18:37, 13 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
तर्के-तदबीर को भी देख लिया।यह भी तदबीर कारगर न हुई॥
यूँ मिली हर निगाह से वो निगाह।
एक की एक को ख़बर न हुई॥
आज तस्कीने-दर्देदिल ‘फ़ानी’।
वह भी चाहा किये मगर न हुई॥