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पांच और शेर / फ़ानी बदायूनी

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=फ़ानी बदायूनी|संग्रह=}}बहार लाई है पैग़ामे-इनक़लाबे-बहार।
समझ रहा हूँ मैं कलियों के मुसकराने को॥