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|रचनाकार= अमजद हैदराबादी  
 
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[[Category: शेर]]
 
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किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
 
किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
 
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥
 
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥
 
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21:11, 22 मार्च 2012 के समय का अवतरण

किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥