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| − | डा. सुतिंदर सिंह नूर पंजाबी के वरिष्ठ कवि, गहन चिंतक और प्रखर आलोचक हैं। डा। नूर की पंजाबी में पाँच कविता पुस्तकें (‘विरख निपत्तरे’, ‘कविता दी जलावतनी’, ‘सरदल दे आर-पार’, ‘मौलसिरी’ और ‘नाल-नाल तुरदियाँ’), एक कविता-संग्रह हिंदी में (साथ-साथ चलते हुए) तथा आलोचना की लगभग ढाई दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अनेक पुस्तकों का संपादन किया है।   | + | {{KKRachnakaarParichay  | 
| + | |रचनाकार=सुतिन्दर सिंह नूर  | ||
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| + | डा. सुतिंदर सिंह नूर पंजाबी के वरिष्ठ कवि, गहन चिंतक और प्रखर आलोचक हैं। डा। नूर की पंजाबी में पाँच कविता पुस्तकें (‘विरख निपत्तरे’, ‘कविता दी जलावतनी’, ‘सरदल दे आर-पार’, ‘मौलसिरी’ और ‘नाल-नाल तुरदियाँ’), एक कविता-संग्रह हिंदी में (साथ-साथ चलते हुए) तथा आलोचना की लगभग ढाई दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अनेक पुस्तकों का संपादन किया है। रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, थाईलैंड और पाकिस्तान में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय गोष्ठियों और सेमिनारों में शिरकत की है। डा. नूर भारतीय साहित्य अकादमी, पंजाबी साहित्य अकादमी, दिल्ली, भाषा विभाग, पंजाब के साथ-साथ सफ़दर हाशमी तथा अनेक भारतीय तथा अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। दिल्ली विश्ववि़द्यालय से सेवा-निवृत्त है और फिलहाल पंजाबी अकादमी, दिल्ली की पत्रिका ‘समदर्शी’ के सम्पादक हैं।  | ||
21:21, 12 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
डा. सुतिंदर सिंह नूर पंजाबी के वरिष्ठ कवि, गहन चिंतक और प्रखर आलोचक हैं। डा। नूर की पंजाबी में पाँच कविता पुस्तकें (‘विरख निपत्तरे’, ‘कविता दी जलावतनी’, ‘सरदल दे आर-पार’, ‘मौलसिरी’ और ‘नाल-नाल तुरदियाँ’), एक कविता-संग्रह हिंदी में (साथ-साथ चलते हुए) तथा आलोचना की लगभग ढाई दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अनेक पुस्तकों का संपादन किया है। रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, थाईलैंड और पाकिस्तान में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय गोष्ठियों और सेमिनारों में शिरकत की है। डा. नूर भारतीय साहित्य अकादमी, पंजाबी साहित्य अकादमी, दिल्ली, भाषा विभाग, पंजाब के साथ-साथ सफ़दर हाशमी तथा अनेक भारतीय तथा अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। दिल्ली विश्ववि़द्यालय से सेवा-निवृत्त है और फिलहाल पंजाबी अकादमी, दिल्ली की पत्रिका ‘समदर्शी’ के सम्पादक हैं।