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"जीवन की कर्मभूमि / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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+ | कुछ तो उम्मीद बचाए रखिए । | ||
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22:01, 15 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण
1
जीवन की इस कर्मभूमि में,
ठीक नहीं है बैठे रहना।
बहुत ज़रूरी है जीवन में
सबकी सुनना, अपनी कहना।
2
सुख जो पाए हम मुस्काए,
आँसू आए उनको सहना।
रुककर पानी सड़ जाता है,
नदी सरीखे निशदिन बहना
3
सपना ही सही ,सजाए रखिए
ज़िन्दगी का भ्रम बनाए रखिए
हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है
कुछ तो उम्मीद बचाए रखिए ।