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"दो मुक्तक / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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'''मैं उजाला हूँ''' | '''मैं उजाला हूँ''' | ||
− | मैं उजाला हूँ ,उजाला ही रहूँगा | + | मैं उजाला हूँ, उजाला ही रहूँगा, |
− | अँधेरी गलियों में ज्योति-सा | + | अँधेरी गलियों में ज्योति-सा बहूँगा। |
− | चाँद मुझे गह लेंगे कुछ पल के लिए , | + | चाँद मुझे गह लेंगे कुछ पल के लिए, |
− | पर मैं रोशनी की कहानी | + | पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा॥ |
'''उपहार''' | '''उपहार''' | ||
− | पल जो भी मिले हैं मुझे उपहार में | + | पल जो भी मिले हैं मुझे उपहार में, |
− | उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार | + | उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में। |
− | + | नफ़रत की फ़सलें उगाई हैं जिसने, | |
− | मिलेगा उसे क्या अब इस संसार | + | मिलेगा उसे क्या अब इस संसार में॥ |
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21:14, 26 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
मैं उजाला हूँ
मैं उजाला हूँ, उजाला ही रहूँगा,
अँधेरी गलियों में ज्योति-सा बहूँगा।
चाँद मुझे गह लेंगे कुछ पल के लिए,
पर मैं रोशनी की कहानी कहूँगा॥
उपहार
पल जो भी मिले हैं मुझे उपहार में,
उनको लुटा दूँगा मैं सिर्फ़ प्यार में।
नफ़रत की फ़सलें उगाई हैं जिसने,
मिलेगा उसे क्या अब इस संसार में॥