Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=नये प्रभात की अँगड़ाइयाँ / गुलाब खंडेलवाल | |संग्रह=नये प्रभात की अँगड़ाइयाँ / गुलाब खंडेलवाल | ||
}} | }} | ||
− | + | [[category: कविता]] | |
+ | <poem> | ||
दुनिया न भली है न बुरी है, | दुनिया न भली है न बुरी है, | ||
− | यह तो एक पोली | + | यह तो एक पोली बाँसुरी है |
जिसे आप चाहे जैसे बजा सकते हैं, | जिसे आप चाहे जैसे बजा सकते हैं, | ||
चाहे जिस सुर से सजा सकते हैं, | चाहे जिस सुर से सजा सकते हैं, | ||
प्रश्न यही है, | प्रश्न यही है, | ||
आप इस पर क्या गाना चाहते हैं! | आप इस पर क्या गाना चाहते हैं! | ||
− | + | हँसना, रोना या केवल गुनगुनाना चाहते हैं! | |
सब कुछ इसी पर निर्भर करता है | सब कुछ इसी पर निर्भर करता है | ||
कि आपने इसमें कैसी हवा भरी है, | कि आपने इसमें कैसी हवा भरी है, | ||
कौन-सा सुर साधा है- | कौन-सा सुर साधा है- | ||
संगीत की गहराइयों में प्रवेश किया है | संगीत की गहराइयों में प्रवेश किया है | ||
− | या केवल ऊपरी घटाटोप | + | या केवल ऊपरी घटाटोप बाँधा है, |
यों तो हर व्यक्ति | यों तो हर व्यक्ति | ||
अपने तरीके से ही जोर लगाता है, | अपने तरीके से ही जोर लगाता है, | ||
पर ठीक ढंग से बजाना | पर ठीक ढंग से बजाना | ||
− | + | यहाँ बिरलों को ही आता है, | |
यदि आपने सही सुरों का चुनाव किया है | यदि आपने सही सुरों का चुनाव किया है | ||
− | और पूरी शक्ति से | + | और पूरी शक्ति से फूँक मारी |
− | तो | + | तो बाँसुरी आपकी उँगलियों के इशारे पर थिरकेगी, |
− | पर यदि आपने इसमें अपने हृदय की | + | पर यदि आपने इसमें अपने हृदय की धड़कन |
नहीं उतारी है | नहीं उतारी है | ||
− | तो जो भी | + | तो जो भी आवाज़ निकलेगी, |
अधूरी ही निकलेगी। | अधूरी ही निकलेगी। | ||
</poem> | </poem> |
01:57, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
दुनिया न भली है न बुरी है,
यह तो एक पोली बाँसुरी है
जिसे आप चाहे जैसे बजा सकते हैं,
चाहे जिस सुर से सजा सकते हैं,
प्रश्न यही है,
आप इस पर क्या गाना चाहते हैं!
हँसना, रोना या केवल गुनगुनाना चाहते हैं!
सब कुछ इसी पर निर्भर करता है
कि आपने इसमें कैसी हवा भरी है,
कौन-सा सुर साधा है-
संगीत की गहराइयों में प्रवेश किया है
या केवल ऊपरी घटाटोप बाँधा है,
यों तो हर व्यक्ति
अपने तरीके से ही जोर लगाता है,
पर ठीक ढंग से बजाना
यहाँ बिरलों को ही आता है,
यदि आपने सही सुरों का चुनाव किया है
और पूरी शक्ति से फूँक मारी
तो बाँसुरी आपकी उँगलियों के इशारे पर थिरकेगी,
पर यदि आपने इसमें अपने हृदय की धड़कन
नहीं उतारी है
तो जो भी आवाज़ निकलेगी,
अधूरी ही निकलेगी।