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"मेघ न आए / शील" के अवतरणों में अंतर

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सूखे खेत किसानिन सूखे,
 
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सूखे ताल-तलैयाँ,
 
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भुइयाँ पर की कुइयाँ सूखी,
 
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तलफ़े ढोर-चिरैयाँ।
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आसमान में सूरज धधके,
 
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दुर्दिन झाँक रहे।
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बीज फोड़कर निकले अंकुर
 
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ऊपर ताक रहे।
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मेघ न आए ।
  
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सावन बीता, भादों बीते,
 
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प्यासे घट रीते के रीते,  
 
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मारी गई फसल बरखा बिन,
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मारी गई फ़सल बरखा बिन,
महँगे हुए पिरीते।
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महँगे हुए पिरीते ।
 
धन के लोभी दाँत निकाले,
 
धन के लोभी दाँत निकाले,
सपने गाँठ रहे।
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सपने गाँठ रहे ।
बीज फोड़कर निकले अंकुर
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बीज फोड़कर निकले अंकुर,
ऊपर ताक रहे।
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ऊपर ताक रहे ।
  
मेघ न आए।
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मेघ न आए ।
आये भी तो धुपहे बादल,
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आए भी तो धुपहे बादल,
 
धूल-भरे चितकबरे बादल,
 
धूल-भरे चितकबरे बादल,
 
पछुवा के हुलकाए बादल,
 
पछुवा के हुलकाए बादल,
 
राजनीति पर छाए बादल,
 
राजनीति पर छाए बादल,
 
पूर्वोत्तर के पचन झकोरे,
 
पूर्वोत्तर के पचन झकोरे,
धरती माप रहे।
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धरती माप रहे ।
 
बीज फोड़कर निकले अंकुर
 
बीज फोड़कर निकले अंकुर
ऊपर ताक रहे।
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मेघ न आए।
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28 अगस्त 1987
 
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02:09, 29 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

मेघ न आए ।

सूखे खेत किसानिन सूखे,
सूखे ताल-तलैयाँ,
भुइयाँ पर की कुइयाँ सूखी,
तलफ़े ढोर-चिरैयाँ ।
आसमान में सूरज धधके,
दुर्दिन झाँक रहे ।
बीज फोड़कर निकले अंकुर
ऊपर ताक रहे ।

मेघ न आए ।

सावन बीता, भादों बीते,
प्यासे घट रीते के रीते,
मारी गई फ़सल बरखा बिन,
महँगे हुए पिरीते ।
धन के लोभी दाँत निकाले,
सपने गाँठ रहे ।
बीज फोड़कर निकले अंकुर,
ऊपर ताक रहे ।

मेघ न आए ।

आए भी तो धुपहे बादल,
धूल-भरे चितकबरे बादल,
पछुवा के हुलकाए बादल,
राजनीति पर छाए बादल,
पूर्वोत्तर के पचन झकोरे,
धरती माप रहे ।
बीज फोड़कर निकले अंकुर
ऊपर ताक रहे ।

मेघ न आए ।

28 अगस्त 1987