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"मंज़िल-दर-मंज़िल / अमरनाथ श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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मंज़िल-दर-मंज़िल पुण्य फलीभूत हुआ
 
मंज़िल-दर-मंज़िल पुण्य फलीभूत हुआ
 
 
कल्प है नया
 
कल्प है नया
 
 
सोने की जीभ मिली स्वाद तो गया।
 
सोने की जीभ मिली स्वाद तो गया।
 
  
 
छाया के आदी हैं
 
छाया के आदी हैं
 
 
गमलों के पौधे
 
गमलों के पौधे
 
 
जीवन के मंत्र हुए
 
जीवन के मंत्र हुए
 
 
सुलह और सौदे
 
सुलह और सौदे
 
 
अपनी जड़ भूल गई द्वार की जया
 
अपनी जड़ भूल गई द्वार की जया
 
  
 
हवा और पानी का
 
हवा और पानी का
 
 
अनुकूल इतना
 
अनुकूल इतना
 
 
बन्द खिड़कियां
 
बन्द खिड़कियां
 
 
बाहर की सोचें कितना
 
बाहर की सोचें कितना
 
 
अपनी सुविधा से है आंख में दया
 
अपनी सुविधा से है आंख में दया
 
  
 
मंज़िल-दर-मंज़िल
 
मंज़िल-दर-मंज़िल
 
 
है एक ज़हर धीमा
 
है एक ज़हर धीमा
 
 
सीढ़ियां बताती हैं
 
सीढ़ियां बताती हैं
 
 
घुटनों की सीमा
 
घुटनों की सीमा
 
 
हमसे तो ऊंचे हैं डाल पर बया।
 
हमसे तो ऊंचे हैं डाल पर बया।
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23:51, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

मंज़िल-दर-मंज़िल पुण्य फलीभूत हुआ
कल्प है नया
सोने की जीभ मिली स्वाद तो गया।

छाया के आदी हैं
गमलों के पौधे
जीवन के मंत्र हुए
सुलह और सौदे
अपनी जड़ भूल गई द्वार की जया

हवा और पानी का
अनुकूल इतना
बन्द खिड़कियां
बाहर की सोचें कितना
अपनी सुविधा से है आंख में दया

मंज़िल-दर-मंज़िल
है एक ज़हर धीमा
सीढ़ियां बताती हैं
घुटनों की सीमा
हमसे तो ऊंचे हैं डाल पर बया।