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"खिलौनेवाला / सुभद्राकुमारी चौहान" के अवतरणों में अंतर

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वह देखो माँ आज
 
वह देखो माँ आज
 
 
खिलौनेवाला फिर से आया है।
 
खिलौनेवाला फिर से आया है।
 
 
कई तरह के सुंदर-सुंदर
 
कई तरह के सुंदर-सुंदर
 
 
नए खिलौने लाया है।
 
नए खिलौने लाया है।
  
 
हरा-हरा तोता पिंजड़े में
 
हरा-हरा तोता पिंजड़े में
 
 
गेंद एक पैसे वाली
 
गेंद एक पैसे वाली
 
 
छोटी सी मोटर गाड़ी है
 
छोटी सी मोटर गाड़ी है
 
 
सर-सर-सर चलने वाली।
 
सर-सर-सर चलने वाली।
  
 
सीटी भी है कई तरह की
 
सीटी भी है कई तरह की
 
 
कई तरह के सुंदर खेल
 
कई तरह के सुंदर खेल
 
 
चाभी भर देने से भक-भक
 
चाभी भर देने से भक-भक
 
 
करती चलने वाली रेल।
 
करती चलने वाली रेल।
  
 
गुड़िया भी है बहुत भली-सी
 
गुड़िया भी है बहुत भली-सी
 
 
पहने कानों में बाली
 
पहने कानों में बाली
 
 
छोटा-सा 'टी सेट' है
 
छोटा-सा 'टी सेट' है
 
 
छोटे-छोटे हैं लोटा थाली।
 
छोटे-छोटे हैं लोटा थाली।
  
 
छोटे-छोटे धनुष-बाण हैं
 
छोटे-छोटे धनुष-बाण हैं
 
 
हैं छोटी-छोटी तलवार
 
हैं छोटी-छोटी तलवार
 
 
नए खिलौने ले लो भैया
 
नए खिलौने ले लो भैया
 
 
ज़ोर-ज़ोर वह रहा पुकार।
 
ज़ोर-ज़ोर वह रहा पुकार।
  
 
मुन्‍नू ने गुड़िया ले ली है
 
मुन्‍नू ने गुड़िया ले ली है
 
 
मोहन ने मोटर गाड़ी
 
मोहन ने मोटर गाड़ी
 
 
मचल-मचल सरला करती है
 
मचल-मचल सरला करती है
 
 
माँ ने लेने को साड़ी
 
माँ ने लेने को साड़ी
  
 
कभी खिलौनेवाला भी माँ
 
कभी खिलौनेवाला भी माँ
 
 
क्‍या साड़ी ले आता है।
 
क्‍या साड़ी ले आता है।
 
 
साड़ी तो वह कपड़े वाला
 
साड़ी तो वह कपड़े वाला
 
 
कभी-कभी दे जाता है
 
कभी-कभी दे जाता है
  
 
अम्‍मा तुमने तो लाकर के
 
अम्‍मा तुमने तो लाकर के
 
 
मुझे दे दिए पैसे चार
 
मुझे दे दिए पैसे चार
 
 
कौन खिलौने लेता हूँ मैं
 
कौन खिलौने लेता हूँ मैं
 
 
तुम भी मन में करो विचार।
 
तुम भी मन में करो विचार।
  
 
तुम सोचोगी मैं ले लूँगा।
 
तुम सोचोगी मैं ले लूँगा।
 
 
तोता, बिल्‍ली, मोटर, रेल
 
तोता, बिल्‍ली, मोटर, रेल
 
 
पर माँ, यह मैं कभी न लूँगा
 
पर माँ, यह मैं कभी न लूँगा
 
 
ये तो हैं बच्‍चों के खेल।
 
ये तो हैं बच्‍चों के खेल।
  
 
मैं तो तलवार खरीदूँगा माँ
 
मैं तो तलवार खरीदूँगा माँ
 
 
या मैं लूँगा तीर-कमान
 
या मैं लूँगा तीर-कमान
 
 
जंगल में जा, किसी ताड़का
 
जंगल में जा, किसी ताड़का
 
 
को मारुँगा राम समान।
 
को मारुँगा राम समान।
  
 
तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-
 
तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-
 
 
को मैं मार भगाऊँगा
 
को मैं मार भगाऊँगा
 
 
यों ही कुछ दिन करते-करते  
 
यों ही कुछ दिन करते-करते  
 
 
रामचंद्र मैं बन जाऊँगा।
 
रामचंद्र मैं बन जाऊँगा।
  
 
यही रहूँगा कौशल्‍या मैं
 
यही रहूँगा कौशल्‍या मैं
 
 
तुमको यही बनाऊँगा।
 
तुमको यही बनाऊँगा।
 
 
तुम कह दोगी वन जाने को
 
तुम कह दोगी वन जाने को
 
 
हँसते-हँसते जाऊँगा।
 
हँसते-हँसते जाऊँगा।
  
 
पर माँ, बिना तुम्‍हारे वन में
 
पर माँ, बिना तुम्‍हारे वन में
 
 
मैं कैसे रह पाऊँगा।
 
मैं कैसे रह पाऊँगा।
 
 
दिन भर घूमूँगा जंगल में
 
दिन भर घूमूँगा जंगल में
 
 
लौट कहाँ पर आऊँगा।
 
लौट कहाँ पर आऊँगा।
  
 
किससे लूँगा पैसे, रूठूँगा
 
किससे लूँगा पैसे, रूठूँगा
 
 
तो कौन मना लेगा
 
तो कौन मना लेगा
 
 
कौन प्‍यार से बिठा गोद में
 
कौन प्‍यार से बिठा गोद में
 
 
मनचाही चींजे़ देगा।
 
मनचाही चींजे़ देगा।
 
 
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16:02, 18 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

वह देखो माँ आज
खिलौनेवाला फिर से आया है।
कई तरह के सुंदर-सुंदर
नए खिलौने लाया है।

हरा-हरा तोता पिंजड़े में
गेंद एक पैसे वाली
छोटी सी मोटर गाड़ी है
सर-सर-सर चलने वाली।

सीटी भी है कई तरह की
कई तरह के सुंदर खेल
चाभी भर देने से भक-भक
करती चलने वाली रेल।

गुड़िया भी है बहुत भली-सी
पहने कानों में बाली
छोटा-सा 'टी सेट' है
छोटे-छोटे हैं लोटा थाली।

छोटे-छोटे धनुष-बाण हैं
हैं छोटी-छोटी तलवार
नए खिलौने ले लो भैया
ज़ोर-ज़ोर वह रहा पुकार।

मुन्‍नू ने गुड़िया ले ली है
मोहन ने मोटर गाड़ी
मचल-मचल सरला करती है
माँ ने लेने को साड़ी

कभी खिलौनेवाला भी माँ
क्‍या साड़ी ले आता है।
साड़ी तो वह कपड़े वाला
कभी-कभी दे जाता है

अम्‍मा तुमने तो लाकर के
मुझे दे दिए पैसे चार
कौन खिलौने लेता हूँ मैं
तुम भी मन में करो विचार।

तुम सोचोगी मैं ले लूँगा।
तोता, बिल्‍ली, मोटर, रेल
पर माँ, यह मैं कभी न लूँगा
ये तो हैं बच्‍चों के खेल।

मैं तो तलवार खरीदूँगा माँ
या मैं लूँगा तीर-कमान
जंगल में जा, किसी ताड़का
को मारुँगा राम समान।

तपसी यज्ञ करेंगे, असुरों-
को मैं मार भगाऊँगा
यों ही कुछ दिन करते-करते
रामचंद्र मैं बन जाऊँगा।

यही रहूँगा कौशल्‍या मैं
तुमको यही बनाऊँगा।
तुम कह दोगी वन जाने को
हँसते-हँसते जाऊँगा।

पर माँ, बिना तुम्‍हारे वन में
मैं कैसे रह पाऊँगा।
दिन भर घूमूँगा जंगल में
लौट कहाँ पर आऊँगा।

किससे लूँगा पैसे, रूठूँगा
तो कौन मना लेगा
कौन प्‍यार से बिठा गोद में
मनचाही चींजे़ देगा।