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उसे काछकर छींटा पूरे जवार में | उसे काछकर छींटा पूरे जवार में | ||
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− | कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था | + | कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था खम्भा-बरेरा |
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− | जम्हाई लेते मंत्री जी ने बयान दिया - | + | जम्हाई लेते मंत्री जी ने बयान दिया - वक़्त बहुत मुश्किल है |
कविता सुनाओगे या दारू पिओगे। | कविता सुनाओगे या दारू पिओगे। | ||
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22:49, 4 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
वे भाई की हत्या कर मंत्री बने थे
चमचे इसे भी कुर्बानियों में गिनते हैं।
विपन्नों की भाषा में जो लहू का लवण होता है
उसे काछकर छींटा पूरे जवार में
फसल अच्छी हुई।
कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था खम्भा-बरेरा
बहुत सगुनिया हुई सीढी
कवि जी गए बहुत ऊपर और बच्चा गया अमरीका।
गद्गद् कवि जी गुदगुद सोफे पर बैठे थे
जम्हाई लेते मंत्री जी ने बयान दिया - वक़्त बहुत मुश्किल है
कविता सुनाओगे या दारू पिओगे।