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प्रणय या प्रणति / अशोक वाजपेयी
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07:13, 5 सितम्बर 2009
<poem>
अपने श्यामल वैभव में
अपनी
देहौर
देह और
यौवन के साथ अकेली वह
अपने ही अंगों की धूप में
तपती वह--
अनिल जनविजय
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