भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बक्सों में यादें / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=कुमार रवींद्र | + | |रचनाकार=कुमार रवींद्र |
+ | |संग्रह=लौटा दो पगडंडियाँ / कुमार रवीन्द्र | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
<poem> | <poem> | ||
बक्सों में बन्द हैं यादें | बक्सों में बन्द हैं यादें | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 11: | ||
धोबी ने धोते समय इनको रगडा़ था | धोबी ने धोते समय इनको रगडा़ था | ||
पीटा था | पीटा था | ||
− | + | मैल कट गया पर ये न कटीं | |
− | + | यह और अन्दर चलीं गईं | |
+ | हम ने निर्मम होकर इन्हें उतार दिया | ||
+ | इन्होंने कुछ नहीं कहा | ||
+ | पर हर बार | ||
+ | ये हमारा कुछ अंश ले गईं | ||
+ | जिसे हम जान न सके | ||
+ | त्वचा से इनका जो सम्बन्ध है वह रक्त तक है | ||
+ | रक्त का सारा उबाल इन्होंने सहा है | ||
+ | इन्हें खोलकर देखो | ||
+ | इन में हमारे ख़ून की ख़ुशबू ज़रूर होगी | ||
+ | अभी ये मौन हैं | ||
+ | पर इन की एक एक परत में जो मन छिपा है | ||
+ | वह हमारे जाने के बाद बोलेगा | ||
+ | यादें आदमी के बीत जाने के बाद ही बोलती हैं | ||
+ | बक्सों में बन्द रहने दो इन्हें | ||
+ | जब पूरी फ़ुर्सत हो तब देखना | ||
+ | इन का वार्तालाप बडा़ ईष्यालु है | ||
+ | कुछ और नहीं करने देगा | ||
</poem> | </poem> |
20:00, 20 मई 2011 के समय का अवतरण
बक्सों में बन्द हैं यादें
हर कपडा़ एक याद है
जिसे तुम्हारे हाथों ने तह किया था
धोबी ने धोते समय इनको रगडा़ था
पीटा था
मैल कट गया पर ये न कटीं
यह और अन्दर चलीं गईं
हम ने निर्मम होकर इन्हें उतार दिया
इन्होंने कुछ नहीं कहा
पर हर बार
ये हमारा कुछ अंश ले गईं
जिसे हम जान न सके
त्वचा से इनका जो सम्बन्ध है वह रक्त तक है
रक्त का सारा उबाल इन्होंने सहा है
इन्हें खोलकर देखो
इन में हमारे ख़ून की ख़ुशबू ज़रूर होगी
अभी ये मौन हैं
पर इन की एक एक परत में जो मन छिपा है
वह हमारे जाने के बाद बोलेगा
यादें आदमी के बीत जाने के बाद ही बोलती हैं
बक्सों में बन्द रहने दो इन्हें
जब पूरी फ़ुर्सत हो तब देखना
इन का वार्तालाप बडा़ ईष्यालु है
कुछ और नहीं करने देगा