भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मानव / भगवतीचरण वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भगवतीचरण वर्मा }} <poem> जब किलका को मादकता में हंस द...)
 
छो
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=भगवतीचरण वर्मा
 
|रचनाकार=भगवतीचरण वर्मा
 
}}
 
}}
 +
{{KKAnthologyLove}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
 
जब किलका को मादकता में
 
जब किलका को मादकता में
पंक्ति 10: पंक्ति 12:
  
 
जब भूले से भरमाए से
 
जब भूले से भरमाए से
भर्मरों को रस का पान मिला
+
भ्रमरों को रस का पान मिला
 
तब हम मस्तों को हृदय मिला
 
तब हम मस्तों को हृदय मिला
 
मर मिटने का अरमान मिला।
 
मर मिटने का अरमान मिला।

11:13, 30 अगस्त 2022 के समय का अवतरण

जब किलका को मादकता में
हंस देने का वरदान मिला
जब सरिता की उन बेसुध सी
लहरों को कल कल गान मिला

जब भूले से भरमाए से
भ्रमरों को रस का पान मिला
तब हम मस्तों को हृदय मिला
मर मिटने का अरमान मिला।

पत्थर सी इन दो आंखो को
जलधारा का उपहार मिला
सूनी सी ठंडी सांसों को
फिर उच्छवासो का भार मिला

युग युग की उस तन्मयता को
कल्पना मिली संचार मिला
तब हम पागल से झूम उठे
जब रोम रोम को प्यार मिला