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"जीवनी / रमेशचन्द्र शाह" के अवतरणों में अंतर

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सब अनर्थ है  
 
सब अनर्थ है  

02:12, 14 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

सब अनर्थ है
कहा अर्थ ने
मुझे साध कर

तू अनाथ है
कहा नाथ ने
मुझे नाथ कर

इसी तरह
शह देते आए
मुझे मातबर

पहुचना घर
मगर उन्हें भी
मुझे लाद कर

पनपे खर -
पतवार सभी तो
मुझे खाद कर