"सुनो अँधेरा / राम सनेहीलाल शर्मा 'यायावर'" के अवतरणों में अंतर
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+ | कोई नन्हा दिया जलाओ | ||
+ | या फिर कोई गीत सुनाओ | ||
+ | संवेदन की राधा मन के आँगन में उदास बैठी है | ||
+ | उधर कन्हैया के प्राणों में कूटनीति कुब्जा पैठी है | ||
+ | आँखें बंद हुई उद्धव की सिंहासन के ध्यान योग में | ||
+ | भ्रमरगीत सो गया समूचा | ||
+ | सूर बनो फिर उसे जगाओ | ||
+ | या फिर कोई गीत सुनाओ | ||
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+ | अगर 'गीत गोविंद' जगा तो मरुथल में मधुवन महकेगा | ||
+ | मौसम की सूखी डालों पर फिर से वृंदावन चहकेगा | ||
+ | सरिताएँ हो गई विषैली मेघों से तेज़ाब झरा है | ||
+ | सगर सुतों की इस पीढ़ी तक | ||
+ | रस की नई धार पहुँचाओ | ||
+ | या फिर कोई गीत सुनाओ | ||
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+ | रोम जल रहा है पर 'नीरो' वंशी लिए बचा बैठा है | ||
+ | कुटिल कालिया धीरे-धीरे पूरा सूर्य पचा बैठा है | ||
+ | आज 'द्वारिका' के हाथों से वृंदावन निर्वसन हो रहा | ||
+ | दीन सुदामा की प्रतिभा को | ||
+ | कोई नया द्वार दिखलाओ | ||
+ | या फिर कोई गीत सुनाओ | ||
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+ | पात-पात से अश्रु झर रहे नंदन की उदास छाती पर | ||
+ | सौ-सौ आशीर्वाद बरसते हैं ऋतुहंता परघाती पर | ||
+ | अस्त्रों की झंकार झनाझन सेनाएँ अब व्यूहबद्ध हैं | ||
+ | कुरुक्षेत्र के तुमुल समर में | ||
+ | अब तो गीता नई सुनाओ | ||
+ | या फिर कोई गीत सुनाओ | ||
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18:49, 15 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
सुनो अँधेरा बहुत घना है
नहीं सूझता हाथ हाथ को
कोई नन्हा दिया जलाओ
या फिर कोई गीत सुनाओ
संवेदन की राधा मन के आँगन में उदास बैठी है
उधर कन्हैया के प्राणों में कूटनीति कुब्जा पैठी है
आँखें बंद हुई उद्धव की सिंहासन के ध्यान योग में
भ्रमरगीत सो गया समूचा
सूर बनो फिर उसे जगाओ
या फिर कोई गीत सुनाओ
अगर 'गीत गोविंद' जगा तो मरुथल में मधुवन महकेगा
मौसम की सूखी डालों पर फिर से वृंदावन चहकेगा
सरिताएँ हो गई विषैली मेघों से तेज़ाब झरा है
सगर सुतों की इस पीढ़ी तक
रस की नई धार पहुँचाओ
या फिर कोई गीत सुनाओ
रोम जल रहा है पर 'नीरो' वंशी लिए बचा बैठा है
कुटिल कालिया धीरे-धीरे पूरा सूर्य पचा बैठा है
आज 'द्वारिका' के हाथों से वृंदावन निर्वसन हो रहा
दीन सुदामा की प्रतिभा को
कोई नया द्वार दिखलाओ
या फिर कोई गीत सुनाओ
पात-पात से अश्रु झर रहे नंदन की उदास छाती पर
सौ-सौ आशीर्वाद बरसते हैं ऋतुहंता परघाती पर
अस्त्रों की झंकार झनाझन सेनाएँ अब व्यूहबद्ध हैं
कुरुक्षेत्र के तुमुल समर में
अब तो गीता नई सुनाओ
या फिर कोई गीत सुनाओ