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कल रात फिर रोया आसमान
 
कल रात फिर रोया आसमान
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नसीब में इतना अन्धेरा बदा था!  
 
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हवा शेार मचाती रही
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हवा शोर मचाती रही
 
पेड़ सिर धुनते रहे
 
पेड़ सिर धुनते रहे
 
धरती का दामन भीगता रहा  
 
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20:21, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कल रात फिर रोया आसमान
कि क्यों बादलों ने चेहरे पर सियाही पोत दी!
सितारे काजल की कोठरी में बैठे बिलखते रहे
नसीब में इतना अन्धेरा बदा था!

हवा शोर मचाती रही
पेड़ सिर धुनते रहे
धरती का दामन भीगता रहा
किसको फ़र्क पड़ा

बादल गरजते रहे
अट्टाहास करते रहे
उन्हें मालूम था
मौसम उनका है।