भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सपनों का आकाश / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poe{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }}m>मेरे दिल की ज़मीन को सप...) |
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=रंजना भाटिया | |रचनाकार=रंजना भाटिया | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
− | }} | + | }} |
+ | <poem>मेरे दिल की ज़मीन को सपनो का आकाश चाहिए, | ||
उड़ सकूँ या नही ,किंतु पँखो के होने का अहसास चाहिए...... | उड़ सकूँ या नही ,किंतु पँखो के होने का अहसास चाहिए...... | ||
02:26, 19 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
मेरे दिल की ज़मीन को सपनो का आकाश चाहिए,
उड़ सकूँ या नही ,किंतु पँखो के होने का अहसास चाहिए......
मौसम दर मौसम बीत रही है यह जिंदगानी ,
मेरी अनबुझी प्यास को बस एक "मधुमास" चाहिए.
लेकर तेरा हाथ, हाथो में काट सके बाक़ी ज़िंदगी का सफ़र.
मेरे डग-मग करते क़दमो को बस तेरा विश्वास चाहिए.
साँझ होते ही तन्हा उदास हो जाती है मेरी ज़िंदगी,
अब उन्ही तन्हा रातो को तेरे प्यार की बरसात चाहिए.
कट चुका है अब तो मेरा" बनवास" बहुत
मेरे बनवास को अब "अयोध्या का वास" चाहिए. !!