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"बैठे हैं दो टीलें / नरेश सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

 
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:तनिक देर और आसपास रहें
 
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:दूर-दूर सड़क के किनारे पर
 
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सूखे पत्तोख मे धुंधुआते से ढेर,
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सूखे पत्तो के धुंधुआते से ढेर,
 
:एक तरफ़ बैठे हैं दो टीले
 
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:गुमसुम-से पीठ फेर-फेर,
 
:गुमसुम-से पीठ फेर-फेर,

20:13, 21 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

तनिक देर और आसपास रहें
चुप रहें, उदास रहें,
जाने फिर कैसी हो जाए यह शाम।

एक-एक कर पीले पत्तों का
टूटते चले जाना, इतने चुपचाप,
और तुम्हारा पलकें झपकाकर
प्रश्नों को लौटा लेना अपने आप।

दूर-दूर सड़क के किनारे पर
सूखे पत्तो के धुंधुआते से ढेर,
एक तरफ़ बैठे हैं दो टीले
गुमसुम-से पीठ फेर-फेर,

डूब रहा सभी कुछ अन्धेरे में
चुप्पी के घेरे में
पेड़ों पर चिड़ियों ने डाला कुहराम।