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"चाँद-सितारों मिलकर गाओ / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | ||
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आज अधर से अधर मिले हैं, | आज अधर से अधर मिले हैं, | ||
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आज बाँह से बाँह मिली, | आज बाँह से बाँह मिली, | ||
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आज हृदय से हृदय मिले हैं, | आज हृदय से हृदय मिले हैं, | ||
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मन से मन की चाह मिली; | मन से मन की चाह मिली; | ||
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चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | चाँद-सितारों, मिलकर गाओ! | ||
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कितनी बार गगन के नीचे | कितनी बार गगन के नीचे | ||
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कितनी बार धरा पर प्रेयसि- | कितनी बार धरा पर प्रेयसि- | ||
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प्रियतम का अभिसार हुआ है! | प्रियतम का अभिसार हुआ है! | ||
+ | चाँद-सितारे, मिलकर बोले। | ||
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आज अधर से अधर अलग है, | आज अधर से अधर अलग है, | ||
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आज बाँह से बाँह अलग | आज बाँह से बाँह अलग | ||
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आज हृदय से हृदय अलग है, | आज हृदय से हृदय अलग है, | ||
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मन से मन की चाह अलग; | मन से मन की चाह अलग; | ||
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चाँद-सितारों, मिलकर रोओ! | चाँद-सितारों, मिलकर रोओ! | ||
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कितनी बार गगन के नीचे | कितनी बार गगन के नीचे | ||
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अटल प्रणय का बंधन टूटे, | अटल प्रणय का बंधन टूटे, | ||
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कितनी बार धरा के ऊपर | कितनी बार धरा के ऊपर | ||
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− | प्रेयसि-प्रियतम के | + | चाँद-सितारे, मिलकर बोले। |
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22:42, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!
आज अधर से अधर मिले हैं,
आज बाँह से बाँह मिली,
आज हृदय से हृदय मिले हैं,
मन से मन की चाह मिली;
चाँद-सितारों, मिलकर गाओ!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
प्रणय-मिलन व्यापार हुआ है,
कितनी बार धरा पर प्रेयसि-
प्रियतम का अभिसार हुआ है!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!
आज अधर से अधर अलग है,
आज बाँह से बाँह अलग
आज हृदय से हृदय अलग है,
मन से मन की चाह अलग;
चाँद-सितारों, मिलकर रोओ!
चाँद-सितारे, मिलकर बोले,
कितनी बार गगन के नीचे
अटल प्रणय का बंधन टूटे,
कितनी बार धरा के ऊपर
प्रेयसि-प्रियतम के प्रण टूटे?
चाँद-सितारे, मिलकर बोले।