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तेज़ी से एक दर्द<br>
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मन में जागा<br>
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मैंने पी लिया,<br>
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छोटी सी एक ख़ुशी<br>
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मैंने पी लिया,
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अधरों में आई
मुझको सन्तोष हुआ<br>
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मुझको सन्तोष हुआ
हर छोटे को<br>
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और लगा –-
बड़ा करना धर्म है ।<br><br>
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हर छोटे को
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बड़ा करना धर्म है ।
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11:13, 30 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

तेज़ी से एक दर्द
मन में जागा
मैंने पी लिया,
छोटी सी एक ख़ुशी
अधरों में आई
मैंने उसको फैला दिया,
मुझको सन्तोष हुआ
और लगा –-
हर छोटे को
बड़ा करना धर्म है ।