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"मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं / रसखान" के अवतरणों में अंतर
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मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी। | मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी। | ||
− | ओढ़ि | + | ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।। |
− | भावतो | + | भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी। |
− | + | या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।। |
18:44, 21 अप्रैल 2008 के समय का अवतरण
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।
ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।।
भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।
या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।