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मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।
 
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।
  
ओढ़ि पिताम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वालन संग फिरौंगी।।
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ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।।
  
भावतो तोहिं जो है रसखान, तो तोरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।
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भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।
  
पै वा मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।
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या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।

18:44, 21 अप्रैल 2008 के समय का अवतरण

मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगी।

ओढ़ि पितम्बर लै लकुटी, बन गोधन ग्वारन संग फिरौंगी।।

भावतो मोहि मेरो रसखान, सो तेरे कहे सब स्वाँग भरौंगी।

या मुरली मुरलीधर की, अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।