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"इंतज़ार-2 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

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प्रेम होने पर
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जिसमें गिर पड़ा हूँ मैं
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या प्रेम एक पहाड़ है
 
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जिस पर चढ़ गया हूँ मैं ।
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इसी जमीन पर।
  
 
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मैं इंतज़ार करुँगा ।
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मैं इंतजार करूंगा।
 
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06:25, 16 मई 2013 के समय का अवतरण

प्रेम होने पर
तुम्हे कहा मैंने-
प्रेम एक कुआं है,
जिसमें गिर पड़ा हूं मैं
या प्रेम एक पहाड़ है
जिस पर चढ़ गया हूं मैंै।

तुमने कहा-
मैं हूं अभी जमीन पर
और रहना चाहती हूं-
इसी जमीन पर।

मैंने कहा-
मैं इंतजार करूंगा।