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"मौत / राजीव रंजन प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारे मासूम पैर जख़्मी तो नहीं हुए? | तुम्हारे मासूम पैर जख़्मी तो नहीं हुए? |
02:05, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
मेरे कलेजे को कुचल कर
तुम्हारे मासूम पैर जख़्मी तो नहीं हुए?
मेरे प्यार
मेरी आस्थाएँ सिसक उठी हैं,
इतना भी यकीन न था तुम्हें
कह कर ही देखा होता कि मौत आये तुम्हें
कलेजा चीर कर
तुम्हें फूलों पर रख आता......
२८.०५.१९९७