Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
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::::क्वाँर की बयार चली, | ::::क्वाँर की बयार चली, | ||
शशि गगन पार हँसे न हँसे-- | शशि गगन पार हँसे न हँसे-- | ||
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नभ में रवहीन दीन-- | नभ में रवहीन दीन-- | ||
::::बगुलों की डार चली; | ::::बगुलों की डार चली; | ||
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::::पर मैं बात हार चली ! | ::::पर मैं बात हार चली ! | ||
+ | '''इलाहाबाद, अक्टूबर, 1948''' | ||
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10:51, 29 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण
इतराया यह और ज्वार का
क्वाँर की बयार चली,
शशि गगन पार हँसे न हँसे--
शेफाली आँसू ढार चली !
नभ में रवहीन दीन--
बगुलों की डार चली;
मन की सब अनकही रही--
पर मैं बात हार चली !
इलाहाबाद, अक्टूबर, 1948