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"कौन पढ़ेगा ? / नरेन्द्र मोहन" के अवतरणों में अंतर

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<poem>रचनाकार: नरेन्द्र मोहन</poem>  
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रंगों की बुनावट में चमक है  
 
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अब भी  
 
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चमक में छिपा है कोई संदेश  
 
चमक में छिपा है कोई संदेश  
 
 
कल का  
 
कल का  
 
 
कल के लिए  
 
कल के लिए  
  
 
गिरती दीवारों पर अंकित है  
 
गिरती दीवारों पर अंकित है  
 
 
एक अबूझ लिपि  
 
एक अबूझ लिपि  
  
 
कौन पढ़ेगा  
 
कौन पढ़ेगा  
 
 
ढहती इमारत की भाषा ?
 
ढहती इमारत की भाषा ?
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22:44, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

रंगों की बुनावट में चमक है
अब भी

चमक में छिपा है कोई संदेश
कल का
कल के लिए

गिरती दीवारों पर अंकित है
एक अबूझ लिपि

कौन पढ़ेगा
ढहती इमारत की भाषा ?