भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ये बेकसो-बेक़रार चेहरे(ग़ज़ल)/ अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
()
 
छो ()
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
#REDIRECT [[ये बेकसो-बेक़रार चेहरे(ग़ज़ल) / अली सरदार जाफ़री]]
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
 +
}}
 +
{{KKCatGhazal}}
 +
<poem>
 +
ये बेकसो-बेक़रार चेहरे
 +
सदियों के ये सोगवार चेहरे
 +
 
 +
मिट्टी में पड़े दमक रहे हैं
 +
हीरों की तरह हज़ार चेहरे
 +
 
 +
ले जाके इन्हें कहाँ सजाएँ
 +
ये भूक के शाहकार<ref>भूख की सर्वोत्तम कृति</ref> चेहरे
 +
 
 +
अफ़्रीका -ओ-एशिया की ज़ीनत
 +
ये नादिरे-रोज़गार<ref>दुनिया भर में सब से श्रेष्ठ</ref>चेहरे
 +
 
 +
माज़ी के खण्डर की तरह दिलकश
 +
ये शम्‌ए-सरे-मज़ार चेहरे
 +
 
 +
फ़ीके हैं फ़रोगे-जर के बावस्फ़
 +
ताबिन्दा हैं ख़ाक़सार चेहरे
 +
 
 +
गुज़रे हैं निगाहो-दिल से होकर
 +
हर तरह के बेशुमार चेहरे
 +
 
 +
मग़रूर अना के घोंसलों में
 +
बैठे हुए कमइयार<ref>ख़राब व्यक्ति</ref> चेहरे
 +
 
 +
नाक़ाबिले-इल्तिफ़ात<ref>उपेक्षा करने योग्य</ref> आँखें
 +
नाक़ाबिले-ऐतिबार<ref>अविश्वासनीय</ref> चेहरे
 +
 
 +
शुहरत<ref>ख्याति</ref> के बलन्द आस्माँ पर
 +
छुटते हुए-से अनार चेहरे
 +
 
 +
पल भर में धुआँ-धुआँ मगर सब
 +
पल भर में फ़क़त ग़ुबार चेहरे
 +
 
 +
सोने का चढ़ा है पानी
 +
पीतल के ये शानदार चेहरे
 +
 
 +
पहने हैं नक़ाबे-पारसाई
 +
जन्नत के कि़रायादार चेहरे
 +
 
 +
इन सब से मगर हसीनतर हैं
 +
रिन्दों के गुनाहगार चेहरे
 +
 
 +
हँसते हुए नैज़ा-ओ-सिनाँ पर
 +
वो शबनमे-नोके-ख़ार चेहरे
 +
 
 +
चुपके-चुपके सुलग रहे हैं
 +
आतशकदः ए-बहार चेहरे
 +
 
 +
शो’लों के मिज़ाज-आशना हैं
 +
बर्फ़ाब-से बेशरार चेहरे
 +
 
 +
उम्मीद की शम्‌अ़ से फ़ुरोज़ाँ
 +
शाइस्तः ए-इन्तिज़ार<ref>प्रतीक्षा के योग्य</ref> चेहरे
 +
 
 +
{{KKMeaning}}
 +
</poem>

08:23, 6 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

ये बेकसो-बेक़रार चेहरे
सदियों के ये सोगवार चेहरे

मिट्टी में पड़े दमक रहे हैं
हीरों की तरह हज़ार चेहरे

ले जाके इन्हें कहाँ सजाएँ
ये भूक के शाहकार<ref>भूख की सर्वोत्तम कृति</ref> चेहरे

अफ़्रीका -ओ-एशिया की ज़ीनत
ये नादिरे-रोज़गार<ref>दुनिया भर में सब से श्रेष्ठ</ref>चेहरे

माज़ी के खण्डर की तरह दिलकश
ये शम्‌ए-सरे-मज़ार चेहरे

फ़ीके हैं फ़रोगे-जर के बावस्फ़
ताबिन्दा हैं ख़ाक़सार चेहरे

गुज़रे हैं निगाहो-दिल से होकर
हर तरह के बेशुमार चेहरे

मग़रूर अना के घोंसलों में
बैठे हुए कमइयार<ref>ख़राब व्यक्ति</ref> चेहरे

नाक़ाबिले-इल्तिफ़ात<ref>उपेक्षा करने योग्य</ref> आँखें
नाक़ाबिले-ऐतिबार<ref>अविश्वासनीय</ref> चेहरे

शुहरत<ref>ख्याति</ref> के बलन्द आस्माँ पर
छुटते हुए-से अनार चेहरे

पल भर में धुआँ-धुआँ मगर सब
पल भर में फ़क़त ग़ुबार चेहरे

सोने का चढ़ा है पानी
पीतल के ये शानदार चेहरे

पहने हैं नक़ाबे-पारसाई
जन्नत के कि़रायादार चेहरे

इन सब से मगर हसीनतर हैं
रिन्दों के गुनाहगार चेहरे

हँसते हुए नैज़ा-ओ-सिनाँ पर
वो शबनमे-नोके-ख़ार चेहरे

चुपके-चुपके सुलग रहे हैं
आतशकदः ए-बहार चेहरे

शो’लों के मिज़ाज-आशना हैं
बर्फ़ाब-से बेशरार चेहरे

उम्मीद की शम्‌अ़ से फ़ुरोज़ाँ
शाइस्तः ए-इन्तिज़ार<ref>प्रतीक्षा के योग्य</ref> चेहरे

शब्दार्थ
<references/>