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सिन्दबाद : दो / अवतार एनगिल

6 bytes removed, 05:19, 27 अप्रैल 2010
<poem>
दुःख की धार पर चलता
बह वह तेज़ धूप की तरह आया
और सारे कर्ज़ चुकाकर
बन बैठा--बड़ा सौदागर।
शामिल हो गईं
एक मासूम चिड़िया
रुकें रुक पक्षी के
सक्षम उड़ान संग।
धरती से---सागर से---आकाश तक