भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चाँदनी / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 +
{{KKAnthologyChand}}
 
<poem>
 
<poem>
 
जब से सँभाला होश मेरी काव्य चेतना ने
 
जब से सँभाला होश मेरी काव्य चेतना ने
मेरी कल्पना में आती-जाती रही चाँदनी ।
+
            मेरी कल्पना में आती-जाती रही चाँदनी ।
 
आधी-आधी रात मेरी आँख से चुरा के नींद
 
आधी-आधी रात मेरी आँख से चुरा के नींद
खेत खलिहान में बुलाती रही चाँदनी ।
+
            खेत खलिहान में बुलाती रही चाँदनी ।
 
सुख में तो सभी मीत होते किन्तु दुख में भी
 
सुख में तो सभी मीत होते किन्तु दुख में भी
मेरे साथ साथ गीत गाती रही चाँदनी ।
+
            मेरे साथ साथ गीत गाती रही चाँदनी ।
 
जाने किस बात पे मैं चाँदनी को भाता रहा
 
जाने किस बात पे मैं चाँदनी को भाता रहा
और बिना बात मुझे भाती रही चाँदनी ।
+
            और बिना बात मुझे भाती रही चाँदनी ।
 
</poem>
 
</poem>

02:09, 5 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

जब से सँभाला होश मेरी काव्य चेतना ने
            मेरी कल्पना में आती-जाती रही चाँदनी ।
आधी-आधी रात मेरी आँख से चुरा के नींद
            खेत खलिहान में बुलाती रही चाँदनी ।
सुख में तो सभी मीत होते किन्तु दुख में भी
            मेरे साथ साथ गीत गाती रही चाँदनी ।
जाने किस बात पे मैं चाँदनी को भाता रहा
            और बिना बात मुझे भाती रही चाँदनी ।