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देह हुई दीपावली, जगमग-जगमग रात <br> | देह हुई दीपावली, जगमग-जगमग रात <br> |
14:21, 27 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
देह हुई दीपावली, जगमग-जगमग रात
करे अमावस किस तरह, अब कोई भी घात॥
चाहे कुछ हो अब कहीं, होगी नहीं अंधेर
दिया पहन कर शाम से, हंसने लगी मुंडेर॥
आंखों में सजने लगा, पूजा का सन्देश
मंद-मंद मुस्का उठे, लक्ष्मी और गणेश॥
मन में आतिशबाजियां, तन पर उसकी जोत
आंखों में तिरने लगा, सांसों का जलपोत॥
तिमिर छंद को तोड़कर, जुड़ा तीज त्यौहार
कहीं फुलझड़ी हंस पड़ी, छूटा कहीं अनार॥
डबडब करती आंख में, झिलमिल करते दीप
ऐसे भी आया करे, कोई कभी समीप॥