भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मशवरा / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परवीन शाकिर |संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन …)
 
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=परवीन शाकिर
 
|रचनाकार=परवीन शाकिर
|संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन शाकिर
+
|संग्रह=खुली आँखों में सपना / परवीन शाकिर;ख़ुशबू / परवीन शाकिर  
 
}}
 
}}
 
{{KKCatNazm}}
 
{{KKCatNazm}}

13:06, 14 जून 2010 के समय का अवतरण

नन्ही लड़की
साहिल के इतने नज़दीक
रेत से अपने घर न बना
कोई सरकश मौज इधर आई तो
तेरे घर की बुनियादें तक बह जाएँगी
और फिर उनकी याद में तू
सारी उम्र उदास रहेगी