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आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ, | आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ, | ||
− | कड़कती हैं | + | कड़कती हैं बिजलियाँ |
मेरा भी मन डरता है | मेरा भी मन डरता है | ||
ठीक तुम्हारी तरह | ठीक तुम्हारी तरह | ||
− | प्रिया से दूर | + | प्रिया से दूर हूँ मैं |
− | इंद्रप्रस्थ में एकाकी | + | इंद्रप्रस्थ में एकाकी |
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12:51, 8 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
सुनो,
राम जी !
आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ,
कड़कती हैं बिजलियाँ
मेरा भी मन डरता है
ठीक तुम्हारी तरह
प्रिया से दूर हूँ मैं
इंद्रप्रस्थ में एकाकी