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"अचानक देवत्व / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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उसने कहा | उसने कहा | ||
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मैंने मन ही मन टेरा मेघों को | मैंने मन ही मन टेरा मेघों को | ||
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आकाश से बरसा अचानक झमाझम नेह | आकाश से बरसा अचानक झमाझम नेह | ||
उसकी दृष्टि में | उसकी दृष्टि में | ||
− | अचानक | + | अचानक यूँ |
− | मैं अपने | + | मैं अपने क़द से बड़ा हुआ |
प्रकृति की औचक लीला से | प्रकृति की औचक लीला से | ||
− | अचानक एक लौकिक पुरूष ने पाया देवत्व | + | अचानक एक लौकिक पुरूष ने पाया देवत्व |
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13:32, 8 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
अचानक
उसने कहा
उफ्फ, इत्ती गर्मी
कुछ करें
कि बारिश हो
अचानक
मैंने मन ही मन टेरा मेघों को
बुदबुदाये मेघों की स्तुति में मंत्र
आकाश से अचानक बरसा पानी
आकाश से बरसा अचानक झमाझम नेह
उसकी दृष्टि में
अचानक यूँ
मैं अपने क़द से बड़ा हुआ
प्रकृति की औचक लीला से
अचानक एक लौकिक पुरूष ने पाया देवत्व