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"शलभ श्रीराम सिंह / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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कल सुबह होने के पहिले (१९६६), इन द फ़ाइनल फेज (अंगरेजी अनुवाद १९७४), अतिरिक्त पुरुष (१९७६), घुमंत दरा जॉय कड़ा नाडार शब्द (बांग्ला) (१९७६), त्रयी-२ में संकलित (१९७७), राहे-हयात (१९८२), निगाह-दर-निगाह (१९८३), नागरिक नामा (१९८३), कब्रिस्तान में सावधान-सत्यजित रे के उपन्यास का अनुवाद (१९८३), अपराधी स्वयं (१९८५), पृथ्वी का प्रेम गीत (१९९१), ध्वंस  का स्वर्ग (१९९१), उन हाथों से परिचित हूँ मैं (१९९३)
 
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"शलभ से हिन्दी कविता का एक नया गोत्र प्रारम्भ होता है | उन्हें किसी मठ में शरण लेने की आवश्यकता नहीं है |" ---नागार्जुन
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उंगली  में बंधी हुई नदियां (नवगीत संकलन), एक गीत देश (काव्य), कारक (कहानी संग्रह), काबेरी (नाटक), शाम--सफ़र (उर्दू कविता), उत्तर-संवाद (युयत्सावादी काव्य दर्शन कि व्याख्या), प्यार की तरफ जाते हुए (काव्य), दूसरे वृक्ष पर (काव्य), जीवन बचा है अभी (काव्य), फिलहाल इतना ही (काव्य)

22:30, 3 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण

"शलभ से हिन्दी कविता का एक नया गोत्र प्रारम्भ होता है | उन्हें किसी मठ में शरण लेने की आवश्यकता नहीं है |" ---नागार्जुन


नाम : शलभ श्रीराम सिंह

पिता : श्री राम खेलावन सिंह

माता : श्रीमती वासुदेवी सिंह

जन्म : ५-११-१९३८

जन्म स्थान :

ग्राम मसोदा, जलालपुर, जिला फ़ैजाबाद (आंबेडकर नगर), उ.प्र.

रचना की मूल प्रेरणा :

युयुत्सा | हिन्दी नवगीत को जन-बोध का धरातल प्रदान करने वाले प्रथम कवि | युयुत्सा कविता के पुरस्कर्ता और युयुत्सावाद के प्रवक्ता

प्रकाशन :

कल सुबह होने के पहिले (१९६६), इन द फ़ाइनल फेज (अंगरेजी अनुवाद १९७४), अतिरिक्त पुरुष (१९७६), घुमंत दरा जॉय कड़ा नाडार शब्द (बांग्ला) (१९७६), त्रयी-२ में संकलित (१९७७), राहे-हयात (१९८२), निगाह-दर-निगाह (१९८३), नागरिक नामा (१९८३), कब्रिस्तान में सावधान-सत्यजित रे के उपन्यास का अनुवाद (१९८३), अपराधी स्वयं (१९८५), पृथ्वी का प्रेम गीत (१९९१), ध्वंस का स्वर्ग (१९९१), उन हाथों से परिचित हूँ मैं (१९९३)

सम्पादन :

अनागता, परम्परा, रूपाम्बरा, निराला, गल्प-भारती, युयुत्सा, अप्रत्याशित, नया विकल्प, कर्बला, सेवा संसार, अनुगामिनी (दैनिक), दिगंत (दैनिक)

अप्रकाशित :

उंगली में बंधी हुई नदियां (नवगीत संकलन), एक गीत देश (काव्य), कारक (कहानी संग्रह), काबेरी (नाटक), शाम-ए-सफ़र (उर्दू कविता), उत्तर-संवाद (युयत्सावादी काव्य दर्शन कि व्याख्या), प्यार की तरफ जाते हुए (काव्य), दूसरे वृक्ष पर (काव्य), जीवन बचा है अभी (काव्य), फिलहाल इतना ही (काव्य)