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"तुम बोना काँटें / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
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तुम बोना काँटे | तुम बोना काँटे | ||
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क्योंकि फूल न पास तुम्हारे। | क्योंकि फूल न पास तुम्हारे। | ||
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बो सकते हो | बो सकते हो | ||
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वही सिर्फ़ जो | वही सिर्फ़ जो | ||
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उगता दिल में, | उगता दिल में, | ||
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चरण पादुका | चरण पादुका | ||
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ही बन सकते | ही बन सकते | ||
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तुम महफ़िल में। | तुम महफ़िल में। | ||
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न देव शीश पर चढ़ते काँटे | न देव शीश पर चढ़ते काँटे | ||
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साँझ सकारे । | साँझ सकारे । | ||
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हँसी किसी की | हँसी किसी की | ||
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अरे पल भर भी | अरे पल भर भी | ||
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सह न पाते, | सह न पाते, | ||
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और बिलखता देख किसी को | और बिलखता देख किसी को | ||
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तुम मुस्काते । | तुम मुस्काते । | ||
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जो डूबते | जो डूबते | ||
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उनको देखा | उनको देखा | ||
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बैठ किनारे। | बैठ किनारे। | ||
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जीवन देकर भी है हमने | जीवन देकर भी है हमने | ||
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जीवन पाया, | जीवन पाया, | ||
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अपने दम से | अपने दम से | ||
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रोता मुखड़ा | रोता मुखड़ा | ||
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भी मुस्काया। | भी मुस्काया। | ||
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सौ-सौ उपवन | सौ-सौ उपवन | ||
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खिले हैं मन में | खिले हैं मन में | ||
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तभी हमारे । | तभी हमारे । | ||
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13:35, 18 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण
तुम बोना काँटे
क्योंकि फूल न पास तुम्हारे।
बो सकते हो
वही सिर्फ़ जो
उगता दिल में,
चरण पादुका
ही बन सकते
तुम महफ़िल में।
न देव शीश पर चढ़ते काँटे
साँझ सकारे ।
हँसी किसी की
अरे पल भर भी
सह न पाते,
और बिलखता देख किसी को
तुम मुस्काते ।
जो डूबते
उनको देखा
बैठ किनारे।
जीवन देकर भी है हमने
जीवन पाया,
अपने दम से
रोता मुखड़ा
भी मुस्काया।
सौ-सौ उपवन
खिले हैं मन में
तभी हमारे ।