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"कभी ताप कभी तैया / गगन गिल" के अवतरणों में अंतर
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13:37, 27 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
पके है पके है जी पके है
दिन रात कोई फल जी पके है
जी में गले है सड़े है फले है
दिन-रात दुख जी में एक पके है
नींद-जाग में चले है चले है
बिना पैरों वाला कोई जी चले है
धुख-धुख साँस काली स्याह होवे है
दम घुटे है कि घोंटे कोई बोलो रे
गिरे है कभी भी गिरे है
कोई ईंट आकाश से गिरे है
धँसे है धँसे है धँसे है
दलदल में अपनी ही पाँव अपना धँसे है
गिरे है उड़े है झड़े है
पंख माँस कभी हड्डी से झड़े है
चढ़े है उतरे है बौराए है
कभी ताप कभी तैया घबराए है