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"पिक्चर पोस्टकार्ड-4 / मिक्लोश रादनोती" के अवतरणों में अंतर
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23:17, 28 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
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मैं उसके बाजू में गिर पड़ा, उसकी लाश उलट गई
जो अभी से ही उस रस्सी की तरह तन गई थी जो टूटने वाली हो।
उसकी गर्दन में पीछे से गोली मारी गई थी, 'तुम भी इसी तरह ख़त्म होगे'
मैंने फुसफुसाकर अपने से कहा : 'बस अब चुपचाप पड़े रहो'
धीरज अब मौत में फूलने वाला है
डेअर श्प्रिंगट नोख आउफ़ : ये सभी चल सकता है :
मेरे ऊपर एक आवाज़ ने कहा
मेरे कान पर कीचड़-सना ख़ून सूखने लगा।
रचनाकाल : 31 अक्तूबर 1944
अंग्रेज़ी से अनुवाद : विष्णु खरे