Changes

अंश / मिक्लोश रादनोती

No change in size, 17:44, 28 दिसम्बर 2009
कि वह अपनी मर्ज़ी से दूसरों की जान लेता था, मज़े के लिए, किसी के हुक्म से नहीं
उसकी ज़िन्दगी पागल इरादों से बनी थी
वह झूठे ख़ुदाओं में यकीन करता था, बदगुमान, उसके मुंह मुँह से फेन गिरता था।
मैं एक ऐसे ज़माने में इस धरती पर रहा
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,461
edits