गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बुरका / पवन करण
88 bytes added
,
15:05, 31 अक्टूबर 2010
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
पवन करण
|संग्रह=स्त्री मेरे भीतर /
पवन करण}}
{{KKCatKavita}}
<
poem
Poem
>
तुम बार-बार कहते हो
और मुझे ज़रा भी
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits