अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार= }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=पंजाबी }} <poem> लायिया ते तोड़ निभ…) |
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− | + | लाईआ ते तोड़ निभावीं चन्न वे | |
− | चन्न वे | + | छड के न जावीं वे बीबा छड के न जांवीं |
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− | छड के न जांवीं | + | |
− | + | माही साहुकारा वे कुड़ी आं गरीबां दी | |
− | + | तेरे हथ डोर चन्ना मेरेआं नसीबाँ दी | |
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− | + | ऐस ताज महल उत्ते एहो सोहं पाई ए | |
− | + | जिंदगी चलाई ए तेरे नाल लाई ए | |
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− | + | किसे किसे वेले चन्ना जान मेरी डरदी वे | |
− | + | सुनया ऐ लगी होई तोड़ नइयों चड़दी | |
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− | जिंदगी चलाई ए तेरे | + | |
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09:54, 28 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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लाईआ ते तोड़ निभावीं चन्न वे
छड के न जावीं वे बीबा छड के न जांवीं
माही साहुकारा वे कुड़ी आं गरीबां दी
तेरे हथ डोर चन्ना मेरेआं नसीबाँ दी
ऐस ताज महल उत्ते एहो सोहं पाई ए
जिंदगी चलाई ए तेरे नाल लाई ए
किसे किसे वेले चन्ना जान मेरी डरदी वे
सुनया ऐ लगी होई तोड़ नइयों चड़दी