Last modified on 31 जनवरी 2022, at 00:10

"शरद / शरद रावत" के अवतरणों में अंतर

 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=शरद रावत
 
|रचनाकार=शरद रावत
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
}}
+
}}{{KKAnthologySardi}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
{{KKCatNepaliRachna}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
सावन और भादों की बाढ़ से  
 
सावन और भादों की बाढ़ से  
पंक्ति 24: पंक्ति 26:
  
 
'''मूल नेपाली से अनुवाद: बिर्ख खड़का डुबर्सेली'''
 
'''मूल नेपाली से अनुवाद: बिर्ख खड़का डुबर्सेली'''
<Poem>
+
</Poem>

00:10, 31 जनवरी 2022 के समय का अवतरण

सावन और भादों की बाढ़ से
टूट कर, बह कर ढके रास्तों में
ढार और ढाल में
बड़े कष्ट से , यातना से
गेंदा, गोदावरी खिले हुए चबूतरे में
विश्राम करने आया है शरद
मुस्कुराने आया है शरद

पर विस्मृति और भ्रम विलीन नहीं हुए हैं,
कल पतझड़ बनकर आने वाले दिनों के
अक्षत विश्वास को खंड-खंड नहीं किया है !
ढोलक की ताल, देवसुरे मैलेनी के संग
रमाना तो नाम मात्र है
रामाया नहीं है !
कल पतझड़ का विश्वास है अक्षत
मुस्कुराने का नाम मात्र है
मुस्कुराया नहीं है शरद !

मूल नेपाली से अनुवाद: बिर्ख खड़का डुबर्सेली