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"हिलता रहा मन / किशन सरोज" के अवतरणों में अंतर
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− | धर गए मेहंदी रचे दो हाथ जल में दीप
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− | जन्म-जन्मों ताल-सा हिलता रहा मन
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− | बांचते हम रह गए अंतर्कथा
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− | स्वर्णकेशा गीत वधुओं की व्यथा
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− | ले गया चुन कर कँवल कोई हठी युवराज
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− | देर तक शैवाल-सा हिलता रहा मन
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− | जंगलों का दुःख तटों की त्रासदी
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− | भूल सुख से सो गयी कोई नदी
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− | थक गयी लड़ती हवाओं से अभागी नाव
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− | और झीने पाल-सा हिलता रहा मन
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− | तुम गए क्या जग हुआ अंधा कुआँ
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− | रेल छूटी रह गया केवल धुआँ
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− | गुनगुनाते हम भरी आँखों फिरे सब रात
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− | हाथ के रूमाल-सा हिलता रहा मन
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22:38, 23 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण