गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
खुमानी, अखरोट! / गुलज़ार
1 byte added
,
05:54, 24 फ़रवरी 2010
ख़ुमानी मोटी थी और अख़रोट का क़द कुछ ऊँचा था
भँवर कोई पीछे पड़ जाए, तो पत्थर की आड़ से होकर,
अख़रोट का हाथ
पकड़के
पकड़ के
वापस भाग आती थी।
अख़रोट बहुत समझाता था,
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,379
edits